दस्तूर (Dastoor) – A Poem On Those Who Are Ignored
क्या आपने कभी यह अनुभव किया है कि आपकी बात लोगों तक पहुँच ही नहीं रही है या कोई आपको सुनना ही नहीं चाहता है। कुछ ऐसे ही हालात से मुख़ातिब है यह ग़ज़ल ‘दस्तूर’ जो मेरी किताब सुख़न-ए-दिल से ली गई है। आशा करता हूँ यह आपको पसंद आएगी।
धन्यवाद,
– नितिन