Rafi Sahab Ka Dil Choo Lene Wala Karishma (रफ़ी साहब का दिल छू लेने वाला करिश्मा)
रफ़ी साहब की पुण्यतिथी पर जैसे कईँ बातें दिल को छू कर निकल गईँ। आज ऐसी ही एक बात आपसे शेअर कर रहा हूँ जो है तो शायद छोटी सी, पर इसमें भी हमें रफ़ी साहब का एक दिल छू लेने वाला करिश्मा देखने को मिलता है।
रफ़ी साहब का पहला गीत 1944 में आई फिल्म ‘गुल बलोच’ का ‘सोनिए नी हीरिए नी’ बताया जाता है जो कि 1941 में रिकॉर्ड किया गया था। उस वक़्त रफ़ी साहब की उम्र लगभग सिर्फ 16 साल की रही होगी। और रफ़ी साहब का आख़िरी गीत ‘तू कहीं आस पास है दोस्त’ फिल्म ‘आस पास’ के लिए 1980 में रिकार्ड किया गया था। यानी कि लगभग 39 साल बाद। यह एक अजीब संयोग है कि इन दोनों गीतों में कईं समानताएं हैं। दोनों गीतों में प्रेमी अपनी प्रेमिका को याद कर रहा है। दोनों गानों में एक उदासी, एक कशिश है। और दोनों में बहुत कम संगीत है। अब बात करते हैं रफ़ी साहब के करिश्मे की। अगर आप इन दोनों गीतों को ध्यान से सुने तो महसूस होता है कि पहले गीत में भी रफ़ी साहब की आवाज़ में वैसा ही ठहराव और उतनी ही परिपक्वता है जो कि उनके आख़िरी गीत में महसूस होती है। यहाँ तक कि दोनों ही गानों में उनकी आवाज़ का अंदाज़ भी काफ़ी मिलता है। आप सुनकर देखिए।
इतनी छोटी उम्र में भी वही असर। अगर सोचें तो कितने आश्चर्य की बात है। यह महज़ रियाज़ की तैयारी नहीं है, कुछ और ही बात है। यह करिश्मा नहीं तो और क्या है!
रफ़ी साहब के गीतों को सुनकर अक्सर यही लगता है ‘तू कहीं आस पास है दोस्त’। आप भी रफ़ी साहब के गीतों के बारे में या उनके बारे में कुछ शेअर करना चाहें तो कॅमेँटस में ज़रूर लिखिए।
शुक्रिया रफ़ी साहब हमें इतने प्यारे गीत और इतनी सुहानी यादें देने के लिए,
– नितिन।