आँगन (Aangan)
अक्सर हमारी ज़िंदगी में कोई ऐसा रिश्ता होता है जो दिल को बहुत सुकून पहुँचाता है। और अगर आप बहुत ही ख़ुशनसीब हैं तो आपकी ज़िंदगी में ऐसे कईं रिश्ते हो सकते हैं। ऐसे ही रिश्तों को समर्पित है मेरी यह ग़ज़ल ‘आँगन’ जो मेरी किताब सुख़न-ए-दिल से ली गई है। आशा करता हूँ यह आपको पसंद आएगी।
धन्यवाद,
– नितिन।
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